कविताअतुकांत कविता
जिन्दगी का सफर
काफी तय कर लिया
मैंने
पीछे मुड़कर देखती हूं तो
यह लम्बा रास्ता
काफी हद तक
पार कर लिया
मैंने
मंजिल पर ही खड़ी हूं या
मंजिल अभी दूर है
यह पता लगाना तो
मुश्किल है
चलते रहना है
आगे बढ़ते रहना है
हौसला बनाये रखना है
बीच बीच में
थोड़ा रुककर
सुस्ताकर
सांसों में दम भरकर
खुद को फिर उठाकर
संभल संभलकर चलना है
तन्हा है रास्ता
तन्हा है मंजिल
तन्हा हूं मैं
रास्ता भले ही
चमक रहा है
एक शीशे की तरह
फिसल रहा है
एक झूले की तरह
लेकिन मुझे एक एक कदम
बहुत ध्यान से
बहुत सोच समझकर
रखना है
गिर पड़ी गर कहीं तो
हाथ आगे बढ़ाकर
मुझे तो उठाने वाला भी नहीं
मिलेगा
यह दुनिया की बस्ती भी सुनसान है
यहां आवाज लगाने पर भी
कोई सुनने वाला नहीं
मिलेगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001
मीनल जी क्या आप मुझे फेसबुक मैसेंजर पर पिंग कर सकती हैं। मेरा प्रोफाइल eron नाम से है। मुझे आआपकी रचना की 2 पंक्तियां एवम फ़ोटो चाहिए साहित्य अर्पण लाइव के लिए।