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असली फूलों के दीदार को - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

असली फूलों के दीदार को

  • 218
  • 4 Min Read

यह फूल
उपवन से तोड़कर
गुलदस्ते में सजाकर
तुमने क्यों रख दिये
ऐ मेरे दोस्त
दर्द से गुजरे होंगे जो
पेड़ की टहनी से टूटे
होंगे
जरा इनके दिल पर
हाथ रख दूं
जाते जाते कुछ कह रहे होंगे
फूल तो सजे हैं
मेरे भी केशों में
लेकिन वह असली नहीं
नकली हैं
मेरा काम तो
चल जाता है
इंसान के द्वारा बनाई
चीजों से
प्रकृति द्वारा प्रदत्त कुदरत के
उपहारों को मैं
बिना बात ही क्यों तोडूं
क्यों फूलों की बहारों से लदे गुलिस्तां को उजाडूं
ऐसी बदसलूकी गर हम
करते रहे तो
वह दिन दूर नहीं जब
प्रकृति का सम्पूर्ण विनाश हो
जायेगा
चारों तरफ फिर
नकली फूल ही
होंगे
असली फूलों के दीदार को तो
इंसान के दिल की आंख का कोना कोना
तरस जायेगा।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत प्यारी सी रचना

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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