कविताबाल कविता
**होली खेले*
आओ रघुवीरा होली खेले
बरसाने में धूम मची
कोई ना रहे सुखा अब
मस्तानों की टोली चली ।।
सूझी मस्ती और ठिठोली
सूखा ना रहेगा कोई ।
हरा, लाल, पीला, नीला
रंगा होगा हर कोई ।।
ढोल मृदंग नगाड़ों के संग
नाच उठा मन मोर ।
तुम भी आ जाओ कृष्ण- कन्हाई
मच उठा होली का शोर ।।
आओ मिलजुल होली खेले
मन मिटा नफरत के बीज ।
ज्यो रंग लगा गोर गालों पर
प्रेम,प्यार से हो ली प्रित ।।
**मनोज जौहरी* मन
खंडवा
9691127860