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होली - Anjani Tripathi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

होली

  • 151
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कान्हा के रंग रंगी
ब्रज की गुजरिया

भीगे रे चोली भीगे चुनरिया
प्रीत की छलकत जाए गगरिया

नर नारी सब भूल के बंधन
झूमे ब्रज की सारी नगरिया

होली आई है रे सखी
फागुन आयो री

कहीं लट्ठमार होली
कहीं करते ठिठोली

कहीं अबीर गुलाल
कहीं रंगों की फुहार

कहीं प्रियतम संग
नाचे गुजरिया

आई ग्वालों की
टोली नगरिया
अंजनी त्रिपाठी
गोरखपुर उत्तरप्रदेश

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

आपने यह प्रत्तियोगिता में ऐड नही की है।

वो चांद आज आना
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