Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मेरा दसवीं का परीक्षाफल - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

लेखआलेख

मेरा दसवीं का परीक्षाफल

  • 146
  • 10 Min Read

आज एक बहुत पुरानी घटना जो डायरी के पन्नों में लिखी थी आप सभी के साथ साझा कर रही हूं।   
          हर वर्ष जब भी दसवीं और बारहवीं  के परीक्षा परिणाम आते हैं तो कहीं खुशी कहीं गम का माहौल छा जाता है। मुझे भी अनायास ही एक घटना याद आ जाती है। मैंने कक्षा 10 की परीक्षा दी थी। एक दिन अचानक सड़क में शोर मचाने लग गया--- आ गया, आ गया। दसवीं वाले आ जाओ परिणाम देखने। उन दिनों एक विशेष पेपर में परीक्षा परिणाम आता था, जिसका मूल्य भी अधिक होता था।
              मैं अपना परिणाम देखने पहुंची तो पता चला कि मेरा नाम उसमें नहीं था। एक जोर का झटका लगा, रोना-धोना शुरू। मेरी परीक्षाएं काफी अच्छी हुई थी। असफलता की कोई उम्मीद ही नहीं थी।
     मुझे याद है लगभग 3 बजे समय होगा। मेरे पिता के स्कूल से आने का वक्त था। माॅं ने दलिया बनाया हुआ था। उन दिनों फोन तो सर्वसुलभ थे नहीं। तभी पड़ोस में रहने वाली मेरी एक सहेली जो विज्ञान वर्ग की छात्रा थी ,घर आई। वो प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण थी और बड़ी प्रसन्न थी। जब उसे पता चला तो उसे भी आश्चर्य हुआ लेकिन साथ में वह मुझसे पूछने लगी कि किसी विषय में कुछ छूट तो नहीं गया था या कुछ गलत तो नहीं हो गया था। मुझे मन ही मन उस पर गुस्सा आ रहा था। 'दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम'  कहकर एक कटोरी दलिया खा गई और मुझे सांत्वना भी देती रही। इसी बीच पिता भी घर आ गए। एक शांति और चुप्पी जैसी छा गई थी घर में। शायद किसी को भी ऐसी उम्मीद ना थी। दुखी तो माता-पिता भी बहुत हुए होंगे, फिर भी पिता ने मुझे यही कहा कि अभी तो जिंदगी में आगे कई इम्तिहान होंगे, कोई बात नहीं।
          दो-तीन दिन बाद जाकर यह बात पता चली कि मेरे साथ के सभी बच्चों का नाम अखबार में नहीं था क्योंकि एक प्रैक्टिकल जो दूसरे स्कूल में जाकर हुआ था उसके नंबर नहीं जुड़े थे इसलिए हमारा रिजल्ट अधूरा था। तब जान में जान आई।
ठीक से याद नहीं, शायद लगभग 10 -15 दिन बाद हम लोगों का रिजल्ट आया। परिणाम सुखद रहा। 11वीं और 12वीं में प्रतिमाह मुझे वजीफा भी मिला। लेकिन कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा का वह रोल नंबर मैं आज भी नहीं भूलती.....167301.

ThinkstockPhotos-178431849_1615731741.jpg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

वास्तव में. नाम न मिलने से आघात लगा होगा. गनीमत है, आपने उसे उचित प्रकार से सह लिया और प्रतीक्षा की. पहले परिणाम ऐसे ही आते थे. मेरी प्रथम श्रेणी तो आयी लेकिन मार्क्स आशा से कुछ विषय में कम, मैं डबडबायी आंखों से घर आया. 😊रास्ते मेंर'' झील भी पड़ी..! स्कालरशिप भी मिल गयी थी.

Amrita Pandey3 years ago

जी, कई बार अधीरता से दुष्परिणाम भी सामने आ जाते हैं लेकिन यह ईश्वर की कृपा रहे कि शायद इस तरह का कोई भी विचार उस वक्त मन में नहीं आया और घर वालों के सहयोग पूर्ण रवैये ने भी शायद काम किया

समीक्षा
logo.jpeg