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"प्रणय मिलन की वर्षा" - Rajesh Kr. verma Mridul (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कवितालयबद्ध कविता

"प्रणय मिलन की वर्षा"

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आयोजन सा.रे.गा.मा.
अधूरी कहानी भाग ३
समूह- लफ्जों की उड़ान
विधा- काव्य रचना
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[रचना]
"प्रणय मिलन की वर्षा"
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हृदय व्याकुल हो जाये ,
नयन निहारे तरस जाये,
पग तेरे गृह को बढ़ जाये,
नयनों मे उजास लिए तु ,
प्रिये! पास मेरे आ जाना।

हृदय तल के मोन भाव से,
जब भी मैं , तुम्हें पुकारूं ,
मेरे शब्दों को शृंगारित कर,
प्रेम रस की प्याली भरकर,
हे प्रियतमा तुम आ जाना..!

प्रणय मिलन की वर्षा मे,
सरिता सम मिल जाना ,
जीवन का संगम हो जाये,
प्रेम सुधा छलकाकर तुम ,
प्रीत की लगन लगा जाना..!

मिलन के इस सागर मे,
जब दिशा हीन हो होकर,
धाराओं मे, मैं बह जाऊं,
प्रिये! तुम नाव सम होकर,
मुझे किनारे ले आना...!

मेरे इस व्याकुल हृदय पर ,
नयन नीर निश्चल सा तुम..
प्रीत की नीर बहा जाना..
अब मेरे हृदय तल पर तुम,
प्रेम पुष्प बन खिल जाना..!
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@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲7979718193

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