कवितालयबद्ध कविता
कविता तो एक सरिता है
हर शब्द-छंद नित नूतन
एक अभिनव सृजनकर्त्ता है
जिसके बिंदु-बिंदु से मन का
सिंधु पल-पल भरता है
उन्मुकत भाव झरना बन
झर-झर झरता है
सिमटकर जीवन की
हर एक धूप-छाँव के
हमसफर से संग-संग चलते
इन दोनों कूलों के बीच
शूलों पर खिलते फूलों को
पल-पल सींच
हरदम बहती रहती है
हर बूँद नया सा
कुछ ना कुछ
हर कविता कहती है
हाँ, हर कविता
अद्भुत सी एक सरिता है
हाँ, कविता भाव,
चेतना और चिंतन का
एक संगम है
मन के महके वृंदावन में
मनमोहन की मुरली से
फूटा एक सरगम है
चैतन्यगिरि पर
भावरश्मि से पिघले-पिघले
चिंतन हिम से
उमडी़ धारा का उद्गम है
हाँ, एक विलक्षण संगम है
कविता सच का एक दर्पण है
मन की दिव्य तरंगों का
अधरों के प्यासे तट पर
उन्मुक्त सुरों सा अर्पण है
मन का अद्भुत
छवि-चित्रण करता,
हर सत्य का समर्थन है
हाँ, कविता सच का दर्पण है
कविता शिव का एक रूप है
मन के आँगन में
नवचेतन की
पहली-पहली धूप है
नवचिंतन की अग्रदूत है
हर शब्द-छंद में सिमटा
एक अर्थ अनंत है
परहितकारी नीलकंठ है
उन्मादों का विष पीता
अमृत-सृष्टि का सूत्रधार बन
मन के चिथडों को
प्रेमसूत्र से सीता है
बन साक्षी हर एक क्षण का
परमानंद चिदानंद बन
महका-महका, चहका सा
एक बसंत है
मन-प्राण-आत्मा को छूता सा
एक अवधूत संत है
सुरसरि सम सबका हितकर,
कंकर-कंकर में सिमटा शंकर
बहुजनहिताय,
बहुजनसुखाय,
जगदंबस्वरूप है
सचमुच अर्द्धनारीश्वर
शिव का एक रूप है
कविता अद्भुत सौंदर्य है
संसृति-सागर के तल में
चैतन्य के धरातल पे
स्वाति-बिंदु का आलिंगन कर
सीपी बन मोती सृजन कर
मन को बरबस सरसाता
आनंद-सुधा सा बरसाता
कण-कण, क्षण-क्षण को हर्षाता
उल्लास का एक अद्भुत पर्व है
इस सतरंगी इंद्रधनुष में
जीवन का हर एक रंग है
अल्हड़ सी एक उमंग है
माँ भारती के चरण चूमती
इस गंगा की बूँद-बूँद पर
मानवता को गर्व है
शाश्वत, अक्षत कालजयी सौंदर्य है
सचमुच कविता एक अद्भुत सौंदर्य है
द्वारा : सुधीर अधीर