कविताअतुकांत कविता
नदिया के पार
एक फूलों का संसार
संकुचित नहीं
एक विस्तृत
फैली हुई
जल की फुहार
प्यार बरसाती एक धार
वहां रोशनी है
रंग है
खुशबुओं का मेला है
कोई नहीं अकेला है
आसमान है
बादल है
कोहरे की एक झीनी झीनी
चादर है
परछाइयां हैं
रुबाइयां हैं
सावन का गीत सुनाती
पुरवाईयां हैं
जहां सांझ को सूरज नहीं
ढलता
दिन निकलने पर भी
सूरज नहीं उगता
जहां वक्त ठहरा हुआ है
एक सुंदर चित्र की तरह
धरती की कोख में पलते
एक अजन्मे बालक सा
जन्म लेने की बाट जोहता
रुका हुआ है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001