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घर की याद... - Shashi Ranjana (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

घर की याद...

  • 372
  • 4 Min Read

घर की याद....
ये अंगना मेरी माँ का है बाबुल की अमिट निशानी है,
बचपन के हर खेल शरारत की इसमें छिपी कहानी है।
ये पेड़ साक्षी है उन लम्हों का
जो सखिओं साथ बिताये हैं
कभी चढ़े गिरे झूला झूले,
कडवी कोंपल कैसे भूलें।
गर्मी में छायाँ खूब करी ,बारिश में बरसा पानी है।
ये अंगना मेरी माँ का है बाबुल की अमिट निशानी है।
ये याद दिलाता है मेरे, बचपन की सुखद कहानी को,
चोर सिपाही, पोसंपा,पर्ची के राजा रानी को।
वो बात बात पर बहनों में होती सारी तकरार यहाँ,
सब अपने घर के हुए हैं अब, खो गया न जाने प्यार कहाँ,
निश्शब्द जुबां हो गयी है अब बस बोले आँखों का पानी है;
ये अंगना मेरी माँ का है बाबुल की अमिट निशानी है।
        शशि रंजना शर्मा 'गीत'
×××____×××____×××___×××

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

शशि जी कविता के साथ रचना से संबंधित तस्वीर लगाएं अपनी नहीं

Ankita Bhargava4 years ago

जी फिर ठीक है

Shashi Ranjana4 years ago

जी अंकिता जी,मगर ये आँगन वही है जिस पर कविता लिखी है।

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

विलक्षण

Shashi Ranjana4 years ago

बहुत बहुत हार्दिक आभार सर🙏🙏

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