कविताअतुकांत कविता
#माँ
जीवन पथपर प्रतिपल माँ की छाया चलती है...
सूक्ष्म से भ्रूण को जो है करती,अपने रक्त से सींचित.
डाल अपने प्राणों को जीवन -मृत्यु के बीच
देती जन्म शिशु को, और कहती हुआ पूर्ण जीवन मेरा
किन शब्दों में करुं में माँ वर्णन तेरा?
तुझ से ही आच्छादित, तुझ से ही परिवेष्टित स्वरूप मेरा
जीवन पथपर प्रतिपल तेरी छाया चलती है.....
प्रथम शिक्षिका तू,सखा भी तू, तू ही प्रेरणा, मार्गदर्शिका भी तू
तू ही सुख-दु:ख में छाॅंव, तू ही मेरा अवलम्बन,
चाहूँ मैं माँ संघर्षों में तेरा ही स्पंदन ।
जीवन- रण की तप्त धरा पर तू शीतल बयार है
स्वयं कष्ट उठाती मगर मेरी संकटहार है ।।
दिव्य स्वरूप तेरा, तू धरती पर ईश्वर का अवतार है ,
किन शब्दों में करूँ मैं माँ वर्णन तेरा?
जीवनपथ पर प्रतिपल तेरी छाया चलती है.....
डॉ यास्मीन अली।
मौलिक एवं स्वरचित।