Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
#दहेज़ - Vijayanand Singh (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

#दहेज़

  • 177
  • 6 Min Read

और....कहानी पूरी हो गयी
--------------------------------------
रविवार का दिन था।वीकेंड की छुट्टियाँ थीं। इसलिए वह घर पर थी। उसने ड्राइंग रूम में खेल रही छ: वर्षीय बेटी से पूछा - " गुड्डा-गुड़िया के साथ खेल रही हो बेटा ? "
" हाँ मम्मी। गुड्डे-गुड़िया की शादी करा रही हूँ। " - बेटी ने गुड़िया को तैयार करते हुए कहा।
" अच्छा लाओ, मैं गुड़िया को साड़ी पहना देती हूँ। " कहते हुए वह भी बेटी के पास बैठ गयी और गुड़िया को तैयार करने लगी।
बेटी ने गुड्डे को तैयार किया। उसे खिलौना-कार में बिठाया और फिर मंडप में ले आई।फेरे लगवाए और एक-दूसरे को माला पहनाकर गुड्डे-गुड़िया की शादी कराई।

तब मम्मी ने पूछा - " हो गया न बेटा ? "
" नहीं मम्मी, अभी नहीं। अभी रुको। अभी शादी पूरी नहीं हुई है। " बेटी ने कहा और दौड़ पड़ी कुछ लाने के लिए।
थोड़ी देर में वह वापस आई, तो मम्मी ने पूछा - " अब क्या करोगी ? "
उसने कोई जवाब नहीं दिया। बोतल का ढक्कन खोल पूरा किरासन तेल गुड़िया के ऊपर उलट दिया और माचिस जला दी।
गुड़िया धू-धूकर जलने लगी तो उसने मम्मी से कहा - " अब शादी पूरी हो गयी, मम्मी ! "
वह स्तब्ध, अवाक् कभी बेटी के चेहरे को, कभी जलती हुई गुड़िया को और कभी आग में धू-धूकर जलते वर्त्तमान को देखती रही...!!

- विजयानंद विजय

logo.jpeg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

ह्रदयस्पर्शी..!!

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

ह्रदयस्पर्शी..!!

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत भावपूर्ण

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG