Or
Create Account l Forgot Password?
कविताअन्य
फिर से आया हूं उसी महफ़िल में जहां तुझे पाया था गौर से सोचा तो मैंने ये देखा की मैंने बहुत कुछ ग्वाया था फिर तुझे पाया था
आपकी रचना आधी है क्या?