कहानीलघुकथा
काजल ----
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अन्तिम यात्रा की पूरी तैयारी हो गयी ,मां का श्रंगार पूरा हो चुका था । रानू एक टक मां को निहार रही थी । अपने आंसूओं को मुश्किल से पलकों पर रोक रखा था । उसकी छोटी बहन और भाभी जिसे मां ने कभी बहू माना ही नहीं मां सबसे कहती थी बेटियाँ ससुराल चली गयी अब मै तीसरी बेटी को गोद ले आई हूँ । छोटी बहन रिदिमा और भाभी शुभा दोनों का रो रो कर बुरा हाल था ।
रानू सबको चुपा रही थी पापा बिलकुल शान्त थे । शायद जीवन संगनी का विछोह उनको अन्दर तक हिला गया था । किसी को अहसास नहीं था कि मां अचानक छोड़ कर चली जायेगी कल सबसे फोन पर बात की । पापा को भी चिल्लाती रही कि ठंड बहुत है अपना ख्याल नहीं रखते पर रात में सोती ही रह गयी । जैसा हमेशा रात को कुछ लिखती थी अपने कमरे में बैठ कर डायरी में लिखा और सो गयी ।
सुबह पापा ने आवाज दी तो वह जा चुकी थी लम्बी यात्रा पर । सोलह श्रंगार होने लगे जैसे ही काजल मंगाया पापा जोर से चीखे नहीं उसके काजल मत लगाना सब अचम्भित पर कोई कुछ नहीं बोला । राम नाम सत्य से माहोल गूंज उठा । मां चली गयी रात को घर सूना सूना होगया बच्चे भी सहमे से सो गये । रानू उठी मां की अलमारी खोली जिस डायरी को हमेशा ताले में रखती थी आज उसके हाथ लग गयी । वह रिदिमा और शानू तीनों उस डायरी को पढ़ने लगी । 15 साल की उम्र में मां की शादी हो गयी । मां बहुत सुन्दर थी उनकी आंखें बहुत प्यारी हम सब भी उनकी आंखों पर कविता बनाते थे । छोटी थी तब उनकी बड़ी बहन हमारी मौसी उनकी आँखों में काजल लगाये रखती थी । शादी होकर आई तो बिना काजल के नहीं रहती थी पर ससुराल में सब हर बात पर उनको प्रताड़ित करते थे । शादी के हफ्ते भर बाद वह काजल लगा कर कमरे से बाहर आई कुछ महिलाएं उनकी मुंह दिखाई करने आई थी । सब बहुत तारीफ कर रहे थे पर बुआ जो मां से बहुत बड़ी थी एक दम से बोली काजल तो ऐसा लगाती है जैसे बाजार में बैठी वैश्या लगाती है। बस मां तुरन्त उठी और आकर रोते रोते काजल पौंछ दिया उसके बाद ना कभी उन्होंने अपनी आंखों में लगाया ना हम सबकी में । आज डायरी पढ़ कर पता लगा । पापा ने बहुत समझाया पर उन्होंने कसम खिलादी कि इस बारे में कोई बात नहीं । आज पापा ने उनकी इस कसम को निभाया और काजल नहीं लगाने दिया ।
हम तीनों की आंखों के आंसू बन्द ही नहीं हो रहे थे ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़
ओह, कभी किसी की कही हुई बात कितना गम्भीर घाव दे जाती है। बहुत अच्छी रचना
धन्यवाद