कहानीलघुकथा
# चित्राक्षरी प्रतियोगिता
विषय:- काज़ल
*ब्यूटी विथ ब्रेन*
कॉलेज में काजल रस्तोगी मेम का पहला दिन था। नटखट बच्चों ने सोचा, " होगी साँवली सी, तभी यह नाम रखा।"
काजल ने कक्षा में प्रवेश किया, बोर्ड पर नज़र पड़ते ही मुस्कुराने लगी। एक काली कलूटी तस्वीर देखकर। बच्चे भी सारे हतप्रभ। बोले, " सॉरी मेम, हम समझे आपका नाम भी काज़ोल जैसा ही रखा गया होगा। "
घर आकर वह सोचने लगी, " कैसे जन्म के बाद ही उस पर तारीफ़ों की बरसात होने लगी थी, " अरे डी एस पी साहब एक संतरी की ड्यूटी लगा दो बेटी के लिए।"
दादी ने तो काजल की पूरी डिबिया ही चुपड़ दी।
पापा ताना मारते बोले थे, " माँ, अपनी पोती का नाम काजल ही रख दो।"
फ़िर मिल गया एक राजकुमार करण। बेइंतहा प्यार लुटाने वाला। दुनिया सपनों सी सजने लगी। साँवले करण को साथी जब तब कहते रहते, " कोयले की खान को हीरा मिल गया।"
धीरे धीरे करण पत्नी के सजने धजने पर भी पाबन्दियाँ लगाने लगा।
और एक दिन काजल बेटी ऐश्वर्या के साथ निकल पड़ी नई मंज़िल की तलाश में। वह नहीं चाहती कि उसकी ही छाया बेटी को उन्हीं हालातों से गुज़रना पड़े।
यौवन की दहलीज़ पर पैर रखती बेटी की परवरिश में कोई कसर बाकी नहीं रखी। आज उसे ब्यूटी विथ ब्रेन का तमगा मिला है। तभी कॉल आया कि उसका राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान में
चयन हो गया है।
सरला मेहता