कवितालयबद्ध कविता
आयोजन - सा.रे.गा.मा
अधूरी कहानी - भाग २
समूह - लफ्जों की उड़ान
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[रचना]
मेरा प्रेम 'नयन नीर' निश्छल सा है
ये घनघोर सावन की बूंदे
अभी थमीं नहीं दिखती है
तेरे इस व्याकुल हृदय पर
किंचित सा विघ्न दिखती है
हे प्रिये! मेरे हृदय शकट पर
सान्निध्य में आसीन हो जाना
अविरल बारिश में गमन की
अब आसार नहीं दिखती है
क्यों तुम अपना प्रेम भाव को
जताने में हिचक सा दिखती है
तेरे दिल की करुण आहट भी
मुझे निश्छल प्रेम सा दिखती है
प्रणय मिलन की प्रेम सफर में
तू अविरल बहती सरिता सी है
मेरे हृदय प्रेम के मोन भाव में
तुम हमसफ़र मेरे जीवन सी है
हे प्रियतमा ! स्नेह प्रेम की तृष्णा
संग तेरे प्रेम रस घूंट प्याला की है
निश्छल प्रीत का कोई भाव नहीं
मेरा प्रेम 'नयन नीर' निश्छल सी है
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@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 ७९७९७१८१९३
Ummda kriti
सादर धन्यवाद।
धन्यवाद महोदया
Bahut sunder
सादर आभार आदरणीया!