Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
"मेरा प्रेम नयन नीर निश्छल सा है" - Rajesh Kr. verma Mridul (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

"मेरा प्रेम नयन नीर निश्छल सा है"

  • 358
  • 4 Min Read

आयोजन - सा.रे.गा.मा
अधूरी कहानी - भाग २
समूह - लफ्जों की उड़ान
================
[रचना]
मेरा प्रेम 'नयन नीर' निश्छल सा है

ये घनघोर सावन की बूंदे
अभी थमीं नहीं दिखती है
तेरे इस व्याकुल हृदय पर
किंचित सा विघ्न दिखती है

हे प्रिये! मेरे हृदय शकट पर
सान्निध्य में आसीन हो जाना
अविरल बारिश में गमन की
अब आसार नहीं दिखती है

क्यों तुम अपना प्रेम भाव को
जताने में हिचक सा दिखती है
तेरे दिल की करुण आहट भी
मुझे निश्छल प्रेम सा दिखती है

प्रणय मिलन की प्रेम सफर में
तू अविरल बहती सरिता सी है
मेरे हृदय प्रेम के मोन भाव में
तुम हमसफ़र मेरे जीवन सी है

हे प्रियतमा ! स्नेह प्रेम की तृष्णा
संग तेरे प्रेम रस घूंट प्याला की है
निश्छल प्रीत का कोई भाव नहीं
मेरा प्रेम 'नयन नीर' निश्छल सी है
---------------------------------
@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 ७९७९७१८१९३

Screenshot_20210225-143654~2_1614415867.png
user-image
Babita Kumari

Babita Kumari 3 years ago

Ummda kriti

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

सादर धन्यवाद।

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

धन्यवाद महोदया

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

Bahut sunder

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

सादर आभार आदरणीया!

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg