कविताअतुकांत कविता
सागर में गिरने तक
दरिया नहीं सूखेगा
यह वादा है उसका
खुद से
जीना भी है
मौत जैसा पर
वह मौत से नहीं डरेगा
लड़ेगा बेखौफ
आखिरी सांस तक
मरते दम तक
जिन्दगी मर मरकर नहीं जियेगा
यूं तो न कोई ख्वाब पूरा
करना है
न ही किसी मंजिल को हासिल
करने की इस दिल को
तमन्ना है
खुद के लिए न सही पर
दूसरों के लिए जियेगा
उनके होठों पे मुस्कुराहट
लाने के लिए
उनकी जिन्दगी की कहानी
अपने लहू से
लिखेगा
सारी उम्र
जीवन की सांसों का
खेल खत्म होने तक।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001