Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
आज कुछ नया लिखूंगी - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आज कुछ नया लिखूंगी

  • 203
  • 4 Min Read

आज कुछ नया लिखूंगी

बहुत लिखा सजनी पर, साजन पर
मौसम पर, बादल पर
चूड़ी, बिंदिया, घूंघट पर
रिश्तो की मर्यादा पर,
आज कुछ नया लिखूंगी....

दहेज रूपी दानव
जो सुरसा की तरह
मुंह खोले आए दिन
निगल जाता है
मेरी कई बहनों को.....

जितना दाना डालोगे
उतना बड़ा मुंह खुलता है
इस दैत्य का
इसका मुंह बंद करना होगा
सदा सदा के लिए....

बहुत कानून बने, बहुत बातें हुईं
पर दुर्घटनाएं कम ना हुई,
स्त्री को स्त्री की आवाज़ बनना होगा
अपने अधिकारों के लिए
आज लड़ना होगा.....

शिक्षा और समानता की अलख जगा
अज्ञानता और अपराधबोध
का चोला फेंकना होगा
नहीं मिलता कुछ भी जहां में
मांगने से......

छीनना होगा अधिकार अपना
करें गर कोई प्रतिकार
हुंकार का स्वर साधना होगा
जीवन अनमोल है स्त्री का
इस बात को गांठ बांधना होगा....।

21_11_2017-dowry1_1614683966.jpg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

sach hai Dahejpratha ko khatam karne ke liye Shiksha Anivarya hai

Amrita Pandey3 years ago

Ji..

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg