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कवितागजल
खता किसी और की थी, गिला मुझसे किया। चोट किसी और से मिली, रास्ते से हटा मुझको दिया। मैंने तो सिद्दत से तुम्हें चाहा, और चाहेंगे हरदम। वो बात अलग है.. भुलाना ज़माने को था, और भुला मुझको दिया।
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