Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
काजल* - Pallavi Rani (Sahitya Arpan)

कविताघनाक्षरीअन्य

काजल*

  • 241
  • 3 Min Read

काजल*
❤❤❤❤

सजल नयन में स्वप्न घनेरे,
कितनी बातें कितने गहरे
कह दें आंखें जब भी देखा
वो चंचल काजल की रेखा।।

गहरी- गहरी कमल की पांखें,
मौन तुम्हारा मुखरित कर दें
जब भी मैंने उनको परखा
भेद हृदय के कह जाती हैं
वो चंचल काजल की रेखा ।।

लाज ओढ़ झुक जाती पलकें,
हृदय के तल को छू जाती हैं
मेरे प्रीत की सुगढ़ सी लेखा
वो चंचल काजल की रेखा ।।

सहज सजीली तेरी आंखें,
जब रातों को नींद ना आए
मुझसे हर पल बतियाती हैं
इनमे डूबा जीना सीखा
वो चंचल काजल की रेखा।।

पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र

inbound4893485707284989760_1614607154.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

wow ❤️

Pallavi Rani4 years ago

आत्मिक आभार ❤

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg