Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
डर - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

डर

  • 278
  • 3 Min Read

क्या है डर मन के कोने का एक भयावह रूप,
या जलते बदन की अग्नि सी धूप।
या दिल को चीरती कोई नुकीली सी चीज
है कोई सुई सी चुभती आवाज की चूक
अंधेरे में लिपटी कोई काली सी मूरत
चींखती, चिल्लाती या सिमटती सी मूक
नही एक कोने में पनपती बीमारी है ये
नही कोई मन का वहम न कोई जलती धूप
परत है झूठ का बस उखाड़ फेंकने की देर
डर मन का है तन का है डर चिल्ला मत रह चुप
निकाल खुन्नस स्वीकार सच को
मत रह नेहा मत रह तू मूक। - नेहा शर्मा

1614007422.jpg
user-image
Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

बेहतरीन अभिव्यक्ति

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg