कहानीसामाजिकप्रेम कहानियाँप्रेरणादायकलघुकथा
एक पुराने और टूटे माकान के समाने एक बड़ी सी कार आकर रुकती है। जिसे दिखने के लिए वहां के सब लोग इकट्ठे हो जाते हैं। तभी उस कर से एक 25साल का नौजवान निकलता है। जिसे देखकर वहां के आस पास के लोगों में कानाफूसी चालू हो जाती है। तभी वहां पास में खड़ी एक बुजुर्ग महिला को देख वो लड़का उनके पास जाता है। और कहता है"काकी राम राम कैसी हो? पहचाना मुझे ?मैं रामेश ?? तभी वो बुजुर्ग महिला कहती हैं "कौन रामेश"??....काकी "मैं राजु शरला का बेटा। इसी घर में हम रहते थे। आपके पड़ोसी"!
"हां, हां याद आया तु शरला का बेटा है।राजु कब आया विदेश से?? और इतने सालों बाद इस बस्ती में,तु तो बहुत पैसे वाला बन गया है।"उस बुजुर्ग महिला ने राजु को कहा।
"नही काकी पैसे वाला बन कर भी सबसे गरीब हु। जिसके लिए ये सब किया आज वो मुझे छोड़ कर हमेशा के लिए चली गई। मेरी अच्छी जिंदगी के लिए उसने मुझसे भी झुठ कहा।कि उसे कोई तकलीफ़ नहीं है।मैं विदेश जाना भी नही चाह रहा था पर अपनी कसम देकर मुझे भेज दिया। और तो और अपनेअंतिम वक्त में मुझे आने दिया।बस इतना ही कह गई..की अपनी जिंदगी को एक नाम और पहचान दो और खुब तरक्की करो।इतना कह राजु रोने लगा।
रोते नही है बेटा तेरी मां ने जो भी किया। तेरे उज्जवल भविष्य के लिए। बुजुर्ग महिला की बातों को सुनकर राजु अपने घर की बढ़ता है। तभी बुजुर्ग महिला कहती हैं"बेटा क्या तुम इस घर को तोड़ कर नया घर बनाओगे।"??"नही काकी ये मेरी मां का घर है।इस घर के हर कोने में उसकी ममता बसी है। चाहे वो पुरानी पलंग हो या ये साइकिल।इन सब में मेरी मां की ममता और उसके मेहनत की खुशबु है। मेरे पिता दुसरी औरत के चक्कर में मुझे और मेरी मां को छोड़ दिया था।पर मेरी मां ने हिम्मत नही हारी और मेरी परवरिश अकेले अपने दम पर की।बस अफ़सोस इस बात का है की आज सब कुछ मेरे पास है पर वो नहीं है।मैं इसी घर में रहुगा हमेशा के लिए।
कभी कभी किस्मत भी ऐसी सज़ा देती है। जिसकी कोई दावा नही होती।
अच्छी है,लेकिन वर्तनीदोषों से पठनीयता को नुकसान होता है।
जी शुक्रिया, आगे से इन सब बातों का ध्यान रखुगीं