कवितालयबद्ध कविता
फैशन को क्यों कोसते, सभी सुबह और शाम।
भारत का दुनिया में होता फैशन से भी नाम।।
फैशन बदले आचार-विचार हो ऐसी वेशभूषा।
पहचाने बनाते समाज,संस्कृति,धर्म और पेशा।।
जाने फैशन की कैसे बनी एक नई कहानी।
विविधता में एकता भारत की बात सभी ने मानी।।
पंजाब की पटियाला सलवार,परांदे में सोणी दिखती हूर।
पठानी सूट, तांबा,कलीरे,जामा,सलूका हुआ मशहूर।।
बांधणी गुजरात की,जिसका नहीं कोई जोड़।
मोटे-चांदी के कड़े, सरधानी का है नहीं तोड़।।
नौ गज साड़ी नौवारी महाराष्ट्र की पहचान।
लुगडं, मंगलसूत्र, पोहेहार,नवरी की शान।।
ठुशी,चपलाहार,एकदाणी, चिंचपेटी,लक्ष्मीहार मोहे।
कान की कुडी ,नाक में मोतियों की नथ ,माथे बिंदी सोहे।।
भांति-भांति की पागडी बनी राजकुलों की मान- पहचान।
कोल्हापुरी चप्पल,मोजड़ी फैशन की दुनिया को वरदान।।
असम को कैसे जानते,बीहू होता कैसे मशहूर।
मेखला चादोर 'फैशनवीक' की बनता क्योंकर धूम।।
दक्षिण भारत के रंगीन सिल्क को जाने सब संसार।
फैशन पहनावा ही नहीं, है पर्व त्यौहार- व्यवहार ।।
भारत के सूती, मलमल, रेशमी कपड़े उद्योग करें अनुकूल।
भारतीय वस्त्रों की विशिष्टता- आकर्षण नहीं प्रतिकूल।।
वैश्वीकरण ने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध किए मजबूत।
भारतीय पहनावे अन्तर्राष्ट्रीय पहचान का सबूत।।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली करें व्यापार।
रूस और कनाडा भारतीय फैशन के बाज़ार।।
रंग -बिरंगे परिधानों से सज्जित ढंक जाते दिल के दंश।
कितनी बदरंग ,खोखली दुनिया ओढ़े सुख का भ्रम।।
मत कोसो फैशन को,बस रहे निज संस्कृति का भान।
लज्जा,शालीनता,सौम्यता बनी रहे भारत की पहचान।।
गीता परिहार
अयोध्या