कवितागीत
सा रे गा मा ( अंत का आरंभ)भाग-१
दिनांक--२१/०२/२०२१
विधा--गीत
विषय--- प्रेमी का इंतज़ार
ख्वाबों में आकर वो मुझको, यूँ सताने लगी है।
सारी- सारी रैना अब तो , वो जगाने लगी है।
छा रहा नशा मुझपर उसकी, प्यार भरी बातों का।
उमड़ रहा सैलाब प्यार का, दिल के जज्बातों का।
आँखों ही आँखों में देखो, मुस्कुराने लगी है।
ख्वाबों में आकर वो मुझको, यूँ सताने लगी है।
मन बावरा मिलन को तड़पे, दिल भी बैचेन हुआ।
नाम लेते ही सिहरन उठे, लगे ज्यों उसने छुआ।
नीली आँखों की गहराई, अब डुबाने लगी है।
ख्वाबों में आकर वो मुझको, यूँ सताने लगी है।
कोई हूर या फिर अप्सरा, जाने कैसी होगी।
वो हुस्न की मल्लिका मेरे, ख्वाबों जैसी होगी।
गरमी भी उसके सांसों की, दिल जलाने लगी है।
ख्वाबों में आकर वो मुझको, यूँ सताने लगी है।
सारी- सारी रैना अब तो, वो जगाने लगी है।
दीप्ति शर्मा" दीप"
जटनी ( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक