कवितालयबद्ध कविता
काव्य प्रतियोगिता फरवरी
आया बसंत झुमके
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[रचना]
ऋतुराज बसंत है आया
मौसम बहारों का छाया
बागो में चिड़िया चहकी
फूलों से बगिया महकी
खिले फूल की सरसों पर
मधुकर रस स्कन्द चुराई
अलसी की डालियों पर
तितलियां है खूब इतराई
खग मृग और तरु लताएं
इन सब ने ली है तरुणाई
नव कोंपले,शोभित शाखा
पुष्प मंजरी से भर इठलाई
नवचेतना से खिली वसुंधरा
चहु ओर हरी भरी हरियाली
मंद मंद सी बह रही हवाएं
मन में प्रेम स्नेह जग आई
कोयल की सु मधुर तान पर
सखियां गीत बसंत की गाई
@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 -7979718193
बहुत खूब सुन्दर प्रस्तुति
आभार आदरणीया।
ऋतुराज बसंत पर सुंदर रचना। 👌👌
जी सादर धन्यवाद