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अदब की निशानी - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अदब की निशानी

  • 254
  • 2 Min Read

एक दरख्त की
शाख झुक जाती है
जब बहारों के मौसम में
कलियों की सुगंधित बयार
उस पर एक गुलदस्ते सी
लटक जाती है
झुककर किसी को
सलाम करना
उसका स्वागत करना
अदब की निशानी होता है
यह छोटी सी बात तो
एक ताजी
नई नवेली दुल्हन सी
खिलती
कली भी
झट से
समझ जाती है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Minal Aggarwal3 years ago

शुक्रिया

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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आग बरस रही है आसमान से
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