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हाइकु - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कविताहाइकु

हाइकु

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हाइकु
पवन/बयार/

ऋतु बसंत
बहे मंद बयार
बौराए मन।

हवा बसंती
मादक मधुमास
मधु छलके।

फागुन आया
कोयल कलरव
उर हुल्सित।


हरती पीड़ा
मन्द शीतल समीर
खिलता मन।

मंद पवन
सुरभित जल में
हंस किलोल।

गीता परिहार

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