कविताअतुकांत कविता
उड़ना जानता हो
और काट दिये जायें
उसके पर तो
पंछी क्या करेगा
पिंजरे में भी कैद नहीं
अब तो लेकिन
फिर भी
अब हर कोई उसका
शिकार करेगा
कहां छिप जाये वह जो
कहीं किसी को नजर न
आये
अब तो उसके जीने के
सारे रास्ते हैं बंद
प्रभु ही कृपा करें
अब तो उस पर
बरसायें मेहर की बारिश कि
धुंध की एक परत सी
छाई रहे
चारों ओर उसके और
वह सबको देख पाये जबकि
वह एक धुएं की लकीर सा
किसी को नजर न आये।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001