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शिकार - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

शिकार

  • 265
  • 3 Min Read

उड़ना जानता हो
और काट दिये जायें
उसके पर तो
पंछी क्या करेगा
पिंजरे में भी कैद नहीं
अब तो लेकिन
फिर भी
अब हर कोई उसका
शिकार करेगा
कहां छिप जाये वह जो
कहीं किसी को नजर न
आये
अब तो उसके जीने के
सारे रास्ते हैं बंद
प्रभु ही कृपा करें
अब तो उस पर
बरसायें मेहर की बारिश कि
धुंध की एक परत सी
छाई रहे
चारों ओर उसके और
वह सबको देख पाये जबकि
वह एक धुएं की लकीर सा
किसी को नजर न आये।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Minal Aggarwal3 years ago

शुक्रिया

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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