कविताअन्य
सफ़र जारी रखो
राह दिखती नहीं आसान हो..
मुश्किल में लगती जान हो...
दे रहा ना कोई साथ हो...
मंजिल की ना कोई आस हो...
निराशा की बह रही बयार हो...
महसूस चहुं ओर बस अंधकार हो...
पर...ना रूको.... ना डरो..
पर्वतों सी अडिगता अंगीकार करो...
हौसलों से पंख पसार चलो...
घबरा कर पग ना पीछे चलो...
हालात हों कुछ भी,मगर..
सफ़र जारी रखो...
भारती यादव ' मेधा '
रायपुर छ्तीसगढ भारत