लेखअन्य
दिल की लिखूं, तो क्या-क्या लिखूं?
क्या भूलूं , क्या याद करूं?
तेरी बातें, या तेरा चेहरा,
या फिर तेरा, अंदाज़ लिखूं?
तेरी आंखों की मस्ती को,
या जुल्फ़ों में ढली वो रात लिखूं?
लिख दूं गर कहो तो, दिल मेरा,
या दिल में छुपे वो राज़ लिखूं?
दिल कहता है, मैं बन शायर..
बस तेरी ही, तेरी बात करूं।
लब पर हो तेरे, बस नाम मेरा,
मैं रब से यही, फ़रियाद करूं।
- आकाश त्रिपाठी (जानू)