कवितानज़्म
कुछ लम्हों की गुजारिश थी कुछ धड़कनों की ख़्वाहिश थी
मिले थे जब हम पहली बार वो पहली मोहब्बत की पहली बारिश थी
वो मौसम था सर्द हवाओं का, वो आलम था खामोश निगाहों का
वो तेरा भीगते हुए मेरे पास आना
वो तेरा धीरे धीरे से नजरे मिलाना
हाँ वो चाहतों की सिफारिश थी
मिले थे जब हम पहली बार वो पहली मोहब्बत की पहली बारिश थी
~~ नरेश बोकण गुर्जर ~~
हिसार, हरियाणा
आप बेहतरीन लिख रहे हैं आपकी सभी रचना पढ़ती रहती हूं मैं 👌🏻
बहुत बहुत आभार आपका