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करारा तमाचा - Vandana Bhatnagar (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

करारा तमाचा

  • 292
  • 11 Min Read

अरे अंकु, तुम और बच्चे अभी तक तैयार क्यों नहीं हुए,ना ही सामान पैक किया, मैं जाने की वजह से आॅफिस से भी जल्दी आ गया,सुनील एक सांस में बोल गया।

हम घूमने नहीं जा पायेंगे।आज मम्मी ठोकर खाकर गिर पड़ीं,उनके माथे पर क‌ई टांके आये हैं और पैर में मोच भी आयी है जिसकी वजह से उन्हें चलने में भी दिक्कत हो रही है।हमारी गैर मौजूदगी में वो कैसे मैनेज कर पायेंगी। ऐसे में तो घूमने में भी मन नहीं लगेगा।

अरे पापा तो हैं ना उनकी देखरेख को
तुम जानते हो ना कि सर्वाइकल की वजह से उन्हें उल्टी और चक्कर की शिकायत रहती है,तो ऐसे में वो मम्मी का क्या ख्याल रख पायेंगे।

तुम बेवजह परेशान हो रही हो,ऐसा कहकर वो उसका हाथ पकड़कर अपनी मम्मी के कमरे में ले गया और अपनी मम्मी से बोला सुना आपने,अंकु आपकी चोट की वजह से घूमने जाने का प्रोग्राम कैंसिल करना चाहती है।ज़रा इसे बताओ तो सही हमारी दादी तो अपाहिज थीं,व्हील चेयर पर ही चलती फिरती थीं, फिर भी आप उन्हें घर में बंद करके हमें कभी पिक्चर,कभी होटल,कभी किसी पार्टी या मेले में घुमा ही लाती थीं।साल में एक बार तो उन्हें नर्स के भरोसे ही छोड़कर हम दस बारह दिन बाहर भी घूम आते थे।आप कहा करती थीं कि जवानी में भी मौज मस्ती नहीं करेंगे तो क्या बुढ़ापे में करेंगे।कभी कभी दादी शिकायत भी करतीं कि अकेले उन्हें डर लगता है,या ठंडा खाना नहीं खाया जाता है तो आप हंगामा मचा देती थीं फिर दादी चुप हो जाती थीं।मज़े की बात ये थी कि घूमने के लिये पैसे भी उनसे ही ऐंठे जाते थे। उन्हें इमोशनली ब्लैकमेल किया जाता था।अब आप अंकु से कहो कि आप सब मैनेज कर लोगी वो प्रोग्राम कैंसिल ना करे।बहू के सामने अपनी करतूतों की पोल पट्टी खुलने पर वो उससे शर्म के मारे आंखें भी नहीं मिला पा रही थीं।बहू को भी हर वक्त बात बात पर नसीहत देने वाली अब मौन थीं।आज उन्हें महसूस हो रहा था कि उनका व्यवहार अपनी सास के प्रति ठीक नहीं था और आज सुनील वही चीज़ दोहराना चाहता था।अंकु बोली मम्मी चाहे जाने को कह भी दें पर वो फिर भी नहीं जायेगी।अंकु,सुनील से बोली मैं इतनी संवेदनहीन नहीं हो सकती।और तुम क्या चाहते हो कि ये क्रम चलता रहे।हमारे बच्चे भी आगे चलकर हमारी अवहेलना करें, मां-बाप को मां- बाप ना समझें। नहीं ऐसा नहीं होगा।मैं अपनी फसल खराब नहीं होने दूंगी,ऐसा कहकर वो अपने अधूरे पड़े कामों को निबटाने चल दी।सुनील और उसकी मां दोनों अवाक रह गये उन्हें ऐसा लगा जैसे उनके गाल पर करारा तमाचा रसीद कर दिया हो।

मौलिक रचना
वन्दना भटनागर
मुज़फ्फरनगर

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

अच्छी रचना

Vandana Bhatnagar3 years ago

Thanks a lot 🙏

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर बहुत खूब माता पिता की परछाई होते है बच्चे। अगर परवरिश अच्छी हो तो बच्चे साथ देते हैं।

Vandana Bhatnagar3 years ago

आपका हार्दिक आभार 🙏

Vandana Bhatnagar3 years ago

Neha ji ye mene विषय संवेदना के लिए डाली है

समीक्षा
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