कविताअन्य
चित्रआधारित प्रतियोगिता हेतु
विधा - मुक्त
ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
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बिन तेरे माँ ये ज़िंदगी सजा लगी हमको
मजे में भी ज़िंदगानी बे-मजा लगी हमको
निभाए सबने यहाँ स्वार्थ की ख़ातिर रिश्ते
एक तेरी ममता स्वार्थ से जुदा लगी हमको
सबकुछ है फिर भी ख़ाली-२ से हम रहतें हैं
माँ बिन ये रूह महव-ए-फ़ुग़ाँ लगी हमको
मैं पढता नहीं बाइबल -गीता या कुरआन
माँ ही फ़लसफ़ा-ए-पाठशाला लगी हमको
मेरी हरएक गजल यूँ ही नहीं होती मशहूर
सजदों में माँ ने की हुई दुआ लगी हमको
मेरी सलामती की दुआएं मांगी उसने ता-उम्र
हर धड़कन माँ की जुज़्व-ए-अदा लगी हमको
हर मुसीबत से बचा लेती हो "अमोल" को
ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
स्वलिखित अप्रकाशित तथा पूर्णतया मौलिक
चंद्रशेखर सुंदरलालजी बोहरा
"अमोल"
उर्दू शब्दों के हिंदी अर्थ
फ़लसफ़ा- ज्ञान, विद्या
महव-ए-फ़ुग़ाँ- दुःख में व्यस्त
जुज़्व-ए-अदा- प्रार्थना का हिस्सा