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जनवरी की ठंड - Neha Tripathi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

जनवरी की ठंड

  • 179
  • 3 Min Read

जनवरी की ठंड बहुत सताती है
जब माँ तेरी याद आती है
विद्यालय से आने के बाद
अपने हाथों से धूप में तू खाना खिलाती थी

ठंड ज्यादा होने पर हमें
शॉल में अपनी छुपाती थी
माँ जनवरी की ठंड बहुत सताती है
नहलाकर तू हमे रजाई में बैठाती थी

ठंड न लग जाए हमे
खूब स्वेटर पहनाती थी
माँ तेरी बहुत याद आ रही है
यह ठंड मुझे बहुत सता रही है

हाथ से अपने स्वेटर बनाती थी
नए-नए डिजाइन से उन्हें सजाती थी
अब कोई नही बनाता वह स्वेटर मेरे लिए
ना ही तेरी तरह कोई शाल में छुपाता है

माँ एक बार गले लगा जा
लौट कर मेरे पास आ जा
फिर न यह जनवरी सता पाएगी
जब मेरी माँ मुझे गले लगाएंगी

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर रचना..! माँ के आंचल की गर्मी से ठंड भाग जाती है.

Neha Tripathi3 years ago

धन्यवाद अंकल जी

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तन्हाई
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