कहानीसामाजिकप्रेरणादायक
कन्या पूजन (कहानी दूसरा भाग)
जब नवरात्रों में कन्या पूजन की बारी आती तब अम्मा जी जरूर गुड़िया को लाड करती ,और दूसरे दिन अम्माजी का वही रूप सामने होता| "अम्मा जी गुड़िया को स्कूल भेजना है "छोटे बेटे के इतना कहने पर अम्मा जी ने कहा "मैंने कहा था ना गुड़िया के बारे में मुझसे कोई बात नहीं ,तुम्हें जो करना है वह तुम करो "|गुड़िया को दादी के इस व्यवहार से पीड़ा होती वह समझ नहीं पाती, क्यों दादी भैया को तो इतना प्यार करती है और मुझे नहीं ?धीरे-धीरे गुड़िया बड़ी होने लगी |
1 दिन गुड़िया अपने भाई के साथ TV देख रही थी मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग का कोई प्रोग्राम चल रहा था ,गुड़िया और उसका बड़ा भाई दोनों बहस कर रहे थे कि मार्शल आर्ट लड़कियों के लिए कितना जरूरी है |गुड़िया के बड़े भाई ने कहा" तुम बेवजह बहस मत करो यह कोई जरूरी नहीं है क्या है यह कुछ भी तो नहीं है" तब गुड़िया ने कहा "भैया लड़कियों की सुरक्षा के लिए अपने आप को बचाने के लिए यह ट्रेनिंग बहुत ही जरूरी होती है |आज के समय में इससे लड़कियां अपनी सुरक्षा खुद कर सकती है मुझे भी सीखना है यह मार्शल आर्ट "|पास ही खड़ी अम्मा जी यह सब सुन रही थी उन्होंने गुस्से में कहा "बंद करो यह सब "|दोनों बच्चे TV बंद करके खेलने चले गए| एक हफ्ते बाद पंचायत की तरफ से एक आदेश आया, गांव में मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग होने वाली है गांव की हर लड़की को यह सीखना है और महिलाएं भी अगर चाहे तो इसे सीख सकती है |गुड़िया को तो जैसे मन की मुराद मिल गई हो ,वह मन ही मन उस फरिश्ते को शुक्रिया कह रही थी जिसकी वजह से उसे मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग करने का मौका मिला |
गुड़िया के आठवीं कक्षा के पेपर चल रहे हैं |अलग से पढ़ाई के लिए वह स्कूल के ही अध्यापक से ट्यूशन लेती है |गुड़िया एक दिन ट्यूशन गई हुई थी ,घर के सारे लोग भी अपने अपने कामों में लगे हुए थे |तभी गांव के पांच -छह लोग शांति देवी के घर आए और बोले "देखिए आप की पोती ने क्या किया है "|सब लोग गए देखा स्कूल का अध्यापक जमीन पर बेहोश पड़ा हुआ है और गुड़िया लाठी लिए उसके पास खड़ी हुई है | पूछने पर पता चला अध्यापक ने गुड़िया के साथ गलत करने की कोशिश की ,पर गुड़िया ने बहादुरी के साथ अपना बचाव किया और लाठी से अध्यापक पर हमला करके अपने आप को बचाया |गांव वाले गुड़िया की तारीफ कर रहे थे और साथ ही यह भी कह रहे थे मार्शल आर्ट से हमारी बच्चियों के मन में आत्मविश्वास आया है उनमें बहादुरी आई है |घर के सभी सदस्य अपनी बिटिया की बहादुरी को देखकर खुश थे ,पर! शांति देवी के मन में कुछ तो ऐसा था जो उन्हें कचोट रहा था|गुड़िया ने आठवीं में अपने गांव में प्रथम स्थान प्राप्त किया |उसके बाद गुड़िया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा ,फिर दसवीं- बाहरवीं, गुड़िया अपनी मेहनत- लगन और बहादुरी से गांव वालों की लाडली बन गई|
छोटी बहू ने अम्मा जी से कहा "अम्मा जी गुड़िया को कॉलेज में दाखिला दिलवाना है"अम्मा जी ने साफ -साफ शब्दों में मना कर दिया | कहा "देखो बहू मैंने तुम्हें शुरू में ही कहा था तुम तुम्हारी बेटी की जिम्मेदारी खुद उठाओ मुझसे कोई उम्मीद ना रखो "|छोटी बहू परेशान थी ,कॉलेज में दाखिले के लिए काफी पैसे चाहिए थे, और तिजोरी की चाबी अम्माजी के पास रहती थी| ऐसे में यह सब कैसे होगा ?पर !!फिर अचानक 4 दिन बाद जहां पर गुड़िया ने एडमिशन के लिए अप्लाई किया था| प्रिंसिपल का फोन आया "आपकी बेटी का एडमिशन हो गया है" गुड़िया के लिए सब कुछ एक सपने जैसा हो रहा था, वह सोच में पड़ गई,एडमिशन ऐसे कैसे ,वह तो कितना रुपया पैसा मांग रहे थे, और अचानक से एडमिशन हो गया| गुड़िया ने कॉलेज जाना शुरु कर दिया ,अपनी मेहनत और लगन से गुड़िया ने कॉलेज में भी प्रथम स्थान हासिल किया और आज अपनी मेहनत के बल पर गुड़िया ने आईएएस परीक्षा पास कर ली |
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