कविताअतुकांत कविता
आज के शब्द इकरार पर मेरी अभिव्यक्ति
क्यूं न हम अपने आगाज़ को अंजाम दे
मुहब्बत को खूबसूरत पयाम दे।
सच बताना क्या तुम्हे भी प्यार है मुझसे?
अगर सच में ऐसा है तो चलो अपने इश्क़ को इकरार दें।
अब दिल पर नहीं है मेरे इख्तियार।
क्यूं न हम अपने सपनों को साकार दें।
सच तो ये है कि वक्त किसी का होता नहीं है।
हम तमाम सपने बुन जाते हैं खुली आंखो में।
पर क्या इकरार के बिना कभी सच हो पाएंगे वो सपने??
लहलहाते खेत झूमती बालियां, मचलती हवाएं,
तुम क्या जानो ??
एक तुम्हारे साथ के बिना सब सूना लगता है।
सब फिका लगता है बस तुम्हारे प्यार के बिना
तुम्हारे इज़हार के बिना।
चलो उठो इकरार कर लें अपने सपनों को साकार कर लें।
एक दूजे से प्यार कर लें।
खूबसूरत अपना संसार कर लें।
आओ हम इकरार कर लें।
** मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश