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मासूम गांव..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मासूम गांव.....

  • 193
  • 2 Min Read

मासूम गांव.....

कुछ लोग निकले थे गांव से
बड़ा आदमी बनने
आज अता-पता नहीं है उनका
गांव तो वहीं है पहले से बड़ा
काफी बड़ा
कहीं जाए बिना

उन्हें आज भी लौटना गंवारा नहीं
जो कल रहना नहीं चाहते थे गांव में
गांव फिर भी बुलाता है उन्हें
उनका अपना गांव

क्योंकि
शहर भी तो गांव तक आ गया
यह बात और है कि
कल का गांव आज शहर हो गया
शहर की चकाचौंध में
मासूम गांव खो गया......

अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत बढ़िया सर

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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