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उदासी - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

उदासी

  • 198
  • 2 Min Read

निशा पूछती है मुझसे
ये अँखियों में पानी क्यों रहता है
तेरा चेहरा भी मुरझाया क्यों रहता है
मैं बोलती हूँ मुझे जिसकी जरूरत है सबसे ज्यादा
इन आँखों में उसी का पहरा रहता है
सुबह होती है तो चेहरा खिल उठता है सोचकर कि वो आएगा
शाम होते होते आशाओं का दीप डगमगाया रहता है
इसीलिए मेरा चेहरा मुरझाया रहता है
-नेहा शर्मा

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

अद्भुत

प्रपोजल
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