Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
आंदोलन - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

आंदोलन

  • 206
  • 3 Min Read

आंदोलन

सुना था सन् 1947 से पहले
आंदोलनकारियों को पिटवाया जाता था
आज भी मारा/पीटा जाता है.
जनता की आवाज कल नहीं सुनी जाती थी
आज भी नहीं सुनी जाती है.
कानून कल भी बनाए जाते थे
आज भी बनाए जाते हैं.
कल सख्ती से पालन होता था
आज सख्ती नहीं हो पाती है.
जनांदोलनों को कल विद्रोह कहा जाता था
आज संसद की अवमानना बताया जाता है.
फूट डालो और राज करो की नीति
कल भी जारी थी, आज भी जारी है.
तो सोचो ये कैसी आजादी है
क्या सत्ता हस्तांतरण को
आजादी कहा जाए?
या
सब कुछ खामोश सहा जाए.
यदि नहीं तो
इसे गुलामी का हस्तांतरण मानिए
वक्त है फिर इंकबाल
और
वंदे मातरम गाइए.

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg