कवितालयबद्ध कविता
जीवन का एक दिन ऐसा भी
मन में शुभ चिंतन ऐसा भी
अद्भुत परिवर्तन ऐसा भी
जीवन का एक दिन ऐसा भी
इस चकाचौंध से दूर कहीं
देखूँ कड़वी सच्चाई को
रूठा उजियारा जिस पथ से
केवल दुःख की परछाई हो
सच का एक दर्पण ऐसा भी
जीवन का एक दिन ऐसा भी
जहाँ रोज अभावों के काँटों के
बीच जिंदगी जीती हो
बन नीलकंठ दुर्भाग्य-सिन्धु के
विष को हँसकर पीती हो
एक सागर-मंथन ऐसा भी
जीवन का एक दिन ऐसा भी
कुंठा के धूमिल चेहरे को
आशा की कुछ किरणें दे दूँ
दुःख की भँवरों में फँसी नाव को
सुख का तट फिर से दे दूँ
एक पूजन, अर्चन ऐसा भी
जीवन का एक दिन ऐसा भी
मृगतृष्णा की पगडण्डी से
सच्चे सुख के पथ पर निकलूँ
कंचन-मृग के सम्मोहन में
फँसकर अब मैं फिर से ना फिसलूँ
एक जीवन-दर्शन ऐसा भी
जीवन का एक दिन ऐसा भी
मन में शुभचिंतन ऐसा भी
अद्भुत परिवर्तन ऐसा भी
जीवन का एक दिन ऐसा भी
द्वारा: सुधीर कुमार शर्मा