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खुद ही देखिए, - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कवितागजल

खुद ही देखिए,

  • 195
  • 3 Min Read

कितने बदल गए हालात खुद ही देखिए,
हुक्मरान हुए सड़क छाप खुद ही देखिए।

उसूलों की फ्रिक न कायदों की चिंता,
संविधान बना मजाक खुद ही देखिए।

घर अपना भरकर उपदेश दे रहे,
खद्दरधारी संत यहां खुद ही देखिए।

भूख गरीबी बेकारी मुद्दे हुए दफन,
झूठे वादों का निवेश खुद ही देखिए।

कब तक चलती अनपढ़ों की सरकार,
इस बार पढ़े लिखों की सरकार खुद ही देखिए।

किसी ने उठाई झाडू किसी ने सिर्फ लगाई,
बिन झाड़ू गजब की सफाई खुद ही देखिए।

अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सही

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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