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सांवलापन..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

सांवलापन.....

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सांवलापन.....
तुम्हे याद होगा
उस प्रेम दिवस को
मेरा अपलक तुम्हे निहारना
मैं खो गया था जब
तुम्हारे सांवले मुखड़े में
तुम्हारा सांवलापन
उस प्रेम दिवस से ही
मुझे अच्छा लगने लगा
क्योंकि
चमकते सूर्य की अपेक्षा
सुबह का चढ़ता
और
शाम का ढलता सूर्य
सुहानी मखमली धूप

अपार शीतलता देता है.....
अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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