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हमसफर..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

हमसफर.....

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हमसफर.....

लगता है मानों कल की बात है
पहली बार मिले थे जब हम
इसी दरम्यान
एक-दूसरे को जाना समझा
रुचियां-विचारधारा
मिलती थी कितनी दोनों की
वही संगीत, वही फिल्में
वही कविता, वही किताबें
हम दोनों को पसंद थीं
अचानक एक दिन
अपने स्थानों की ओर
निकल पड़े हम
कुछ दिन बाद महसूस हुआ
तुम्ही हो मेरी हमसफर
हर सफर में....
अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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