कविताअतुकांत कविता
किसान,,,,हाइकु
जय किसान
दायक अन्न धन
देश की जान
ओ हलधर
हालात बदतर
टूटी कमर
देश प्रसन्न
कृषक दे खाद्यान्न
स्थिति विपन्न
निभाता फ़र्ज
जन्म से मृत्यु कर्ज़
मिटा ना मर्ज़
कृषक जन
हो साधन समन्न
अधिक अन्न
भोला किसान
गमछा बन्डी शान
श्रम गुमान
कर्म अभ्यस्त
चाहे हो अस्त व्यस्त
ज़िन्दगी मस्त
सरला मेहता