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कवितागजल
आवारगी एक रोज इस तरह चला जाऊंगा देख लेना तुम्हें बहुत याद आऊंगा। कामयाबी के चर्चे मेरे हो न हों तुम्हारे नाम की नाकामी छोड़ जाऊंगा। तुम्हारे इश्क ने आवारा है बनाया मुझको वसीयत में यही आवारगी छोड़ जाऊंगा । अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’ उप संपादक, लोकमत समाचार नांदेड़
बहुत अच्छा आप ऐसे ही लिखते रहिये शेयर करते रहिए
bahut bahut Dhanywad