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आवारगी - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कवितागजल

आवारगी

  • 202
  • 2 Min Read

आवारगी

एक रोज इस तरह चला जाऊंगा
देख लेना तुम्हें बहुत याद आऊंगा।

कामयाबी के चर्चे मेरे हो न हों
तुम्हारे नाम की नाकामी छोड़ जाऊंगा।

तुम्हारे इश्क ने आवारा है बनाया मुझको
वसीयत में यही आवारगी छोड़ जाऊंगा ।

अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’
उप संपादक, लोकमत समाचार
नांदेड़

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत अच्छा आप ऐसे ही लिखते रहिये शेयर करते रहिए

अजय मौर्य ‘बाबू’3 years ago

bahut bahut Dhanywad

प्रपोजल
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