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अलविदा 2020 - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अलविदा 2020

  • 226
  • 6 Min Read

खट्टी मीठी यादों का संसार रच गया
ये जाने वाला साल इतिहास रच गया
इंसान को बना कैदी घर में हलकान कर गया
मेहमां बन आया था कोविड, अब तक ठहर गया,

सुख का पलड़ा कुछ हल्का, दुख का भारी कर गया
बैठे बिठाए मौत का सामान बन गया
लाखों बेरोज़गार हुए, लाखों मौत के शिकार हुए
जीते जी कईयों को बीमार कर गया,

अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट, निर्मम प्रहार कर गया
सुई बनकर आया, तलवार सरीखे वार कर गया
प्रकृति से छेड़छाड़ ठीक नहीं, मानव को आगाह कर गया
एक नन्हा सा वायरस साल भर राज कर गया।

हौले हौले मद्धम पग भर आ रहा है नया साल
दिल के भीतर सुलग रहे हैं फिर कुछ अनुत्तरित सवाल
अब कैसे रोली चंदन हो, कैसे इसका अभिनंदन हो....
यह साल जो बीता, लहुलुहान कर गया ,

वर्षों की परंपरा पीछे छूट रही है
खौफ के साए में जिंदगी बीत रही है,
हाले दिल कैसे बताएं, कैसे अनुभव गीत सुनाएं
क्या समझा-सीखा हमने, स्वरक्षा में क्या कदम उठाए.....

कितना दोष मानव का इसमें कि जीवन संकट आन पड़ा
मृत्यु शैय्या भी सिहर उठी है ऐसा पहली बार हुआ,
संतुलन और सामंजस्य भरा पग धरना होगा
आत्मावलोकन करना होगा,अब की बार संभालना होगा।

अमृता पांडे
हल्द्वानी
उत्तराखंड

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर, लयबद्ध और सटीक रचना.! 2020.. बहुत कुछ ले गया और प्रकृति के कुछ सन्देश दे गया.. जैसे समय की गति ठहर गयी हो..! ..

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