कविताअतुकांत कविता
तुम्हारा प्यार.....
तुम्हारे मधुमय प्यार से उपजे
अक्षर
शब्द
वाक्य
गूंज रहे हैं
आज भी यादों में
संचित है आज भी
आंखों में
तुम्हारी मोहक मुस्कान
निधि बन
धरोहर सी
क्या कभी
इस अनुपम प्यार का प्रतिदान
दे सकूंगा
कब प्यार कर सकूंगा तुम्हें.....
अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’