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#अभिलाषाएं जाग रहीहैं - Anju Gahlot (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

#अभिलाषाएं जाग रहीहैं

  • 216
  • 3 Min Read

स्वरचित कविता-
शीर्षक- "अभिलाषाएं जाग रही हैं"

टुकुर-टुकुर सब ताक रही हैं-
अभिलाषाएं जाग रही हैं,
कठिन काल अब जाओ छोड़कर-
मन में आशाएं झांक रही हैं.

अर्पित करने हैं सारे गम-
सुफल मिलें तब ही लेंगे दम,
त्वरित तोड़ कर बंधन सारे-
बढ़ें सुपथ पर सजग कदम.

दूर हो दूरी हाथ मिलाएं-
नए वर्ष का जश्न मनाएं,
हिलमिलकर खुशरंग बिखेरें-
खुलकर सांस लिये मुस्काएं.

सैर-सपाटा गप्पें शप्पें-
बालक भी गलियों में चहकें,
महिलाएं बतियाएं मिलकर-
सबके घर और द्वारे महकें.

_____
स्वरचित-
डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
नई दिल्ली

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

प्रपोजल
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माँ
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वो चांद आज आना
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तन्हाई
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