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सफर जारी रखो - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

सफर जारी रखो

  • 97
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सफर की शुरुआत कर
सफर को जारी रखो
माना इम्तिहान की घड़ी हैं
थोड़ा धैर्य रखो।।
वो मंजर भी आएगा
जब सफलता का दौर
तेरे कदमो को आगे बढ़ाता जायेगा।।
सफलता के सफर में तेरे हाथ
कभी जीत तो कभी हार होगी
कभी आशा तो कभी निराशा होगी।।
परिस्थितिया कैसी भी हो।।
थोड़ा तो हौसलो रखो।।
टूटकर भी अपने सफर को जारी रखो।।
बस हार कर मत बैठ
मंजिल को पाने का जुनून पाले रख।
तूफानों में भी कश्ती को संभाले रख।।
कश्ती एकदिन पार हो जाएगी
बस पतवार को संभाले रखो।।
ऐसा कौन हैं जो कभी गिरा नही
गिरकर फिर संभला नही
बस खायी हुई ठोकरों के
निशान याद रखो।।
मजबूत इरादे,विश्वास खुद पर रख
स्वयं सबकुछ कर सकता हैं,दृढ़ निश्चय रख।।
बस अपने लक्ष्य को याद रखो
एकदिन मंजिल मिल जाएगी
अपने सफर को जारी रखो
ममता गुप्ता✍️
अलवर राजस्थान

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