कविताअतुकांत कविता
आज गणित दिवस है तथा महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन जी का जन्मदिन है इसी उपलक्ष्य में मेरी कविता पढ़िए.....
मै शून्य हूं
हां स्वीकार है मुझे
मैं शून्य हूं
पूरा ब्रह्माण्ड मुझमें समाया
विधाता की मैं जननी हूं
दुख भी मैं,सुख भी मैं
तुच्छ हूं
पर महत्वपूर्ण हूं
मै शून्य हूं
आगे लग जाऊं
तो मान बढ़ा दू
गुणा कर दो
तो अदृश्य कर दूं
अमूल्य हूं
पर बहुमूल्य हूं
मैं शून्य हूं
गणना में इकाई, दहाई,सैकड़ा हूं
मेरे बिना असम्भव है
कोई अनुमान लगाना
सूरज से चांद तक की दूरी
का गुमान हूं
तिरस्कृत हूं
पर गम्भीर हूं
हां स्वीकार है मुझे
मैं शून्य हूं
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश