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"फुर्सत के दो पल" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

"फुर्सत के दो पल"

  • 235
  • 3 Min Read

शीर्षक: "फुर्सत के दो पल"

मैं भी अब फुर्सत के कुछ पल चाहता हूँ
बैठूँ दो घड़ी साथ तेरे,बस ये ही आज- कल चाहता हूँ

हुआ मैं भी अब साँझ का सूरज
संग तेरे एक नई सुबह का पल चाहता हूँ

उलझा ज़िन्दगी के लफड़ों में
अब जीवन का हल चाहता हूँ

झुलस रहा हूँ, संघर्षो की धूप में
तू बन बरखा, बरस जा मुझ पर, मैं जल चाहता हूँ

तू जीवन साथी मेरी, तू बुढ़ापे की लाठी
जीना तेरे साथ मैं हर पल चाहता हूँ

मैं भी अब फुर्सत के दो पल चाहता हूँ
बैठु दो घड़ी साथ तेरे, बस ये ही आज-कल चाहता हूँ...

©️पूनम बागड़िया "पुनीत"
(दिल्ली)
स्वरचित व मौलिक रचना

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर रचना

Poonam Bagadia4 years ago

जी शुक्रिया...

प्रपोजल
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